इस कलयुग में नारी बनकर मीरा, ढूंढ रही हैं कृष्ण को । इस कलयुग में नारी बनकर मीरा, ढूंढ रही हैं कृष्ण को ।
इनकी आभा से होते जगत उज्जवलित, कलह और यातनाओं से दूर, इन्हें मुस्कान दो। इनकी आभा से होते जगत उज्जवलित, कलह और यातनाओं से दूर, इन्हें मुस्कान दो।
हम सब भूल चुके हैं संसार तो सारा ब्रम्हांड है, हमको सिर्फ अपनी पड़ी है किताबों मे पढ हम सब भूल चुके हैं संसार तो सारा ब्रम्हांड है, हमको सिर्फ अपनी पड़ी है क...
फिर जागेगा, मुझे संवारेगा, अपने जीवन रक्षा हेतु, एक - एक पेड़ लगाएगा, मेरी सुंदरता, म फिर जागेगा, मुझे संवारेगा, अपने जीवन रक्षा हेतु, एक - एक पेड़ लगाएगा, मेरी...
भारत माता की सौगंध खाकर, आओ आज ये शपथ लेते है! नारी शक्ति पर आंच ना आने देंगे। भारत माता की सौगंध खाकर, आओ आज ये शपथ लेते है! नारी शक्ति पर आंच ना आने देंग...
गणतंत्र से मिला है संवैधानिक अधिकार, शोषण अन्नाय का हम करते हैं प्रतिकार। गणतंत्र से मिला है संवैधानिक अधिकार, शोषण अन्नाय का हम करते हैं प्रतिकार।